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Wednesday, September 11, 2019

September 11, 2019

सर झुकाओगे तो - Sar Jhukaoge To (Jagjit Singh, Visions (Vol.2))

Movie/Album: विज़न्स (वॉल्यूम 2) (2003)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: बशीर बद्र
Performed By: जगजीत सिंह

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा
सर झुकाओगे तो...

मैं ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा
सर झुकाओगे तो...

रूठ जाना तो मुहब्बत की अलामत है मगर
क्या ख़बर थी मुझसे वो, इतना ख़फ़ा हो जाएगा
सर झुकाओगे तो...
September 11, 2019

फिर कुछ इक दिल को - Phir Kuchh Ik Dil Ko (Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है
सीना ज़ोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है

फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है

बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं, "ग़ालिब"
कुछ तो है, जिसकी पर्दा-दारी है

Tuesday, September 10, 2019

September 10, 2019

वो फ़िराक़ और वो विसाल - Wo Firaaq Aur Wo Visaal (Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ
वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ

थी वो इक शख़्स के तसव्वुर से
अब वो रानाई-ए-ख़याल कहाँ
वो शब-ओ-रोज़...

ऐसा आसाँ नहीं लहू रोना
दिल में ताक़त, जिगर में हाल कहाँ
वो शब-ओ-रोज़...

फ़िक़्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ
वो शब-ओ-रोज़...
वो फ़िराक़ और वो विसाल...
September 10, 2019

नींद से आँख खुली है - Neend Se Aankh Khuli Hai (Chitra Singh, Beyond Time)

Movie/Album: बियॉन्ड टाइम (1987)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: शाहिद कबीर
Performed By: चित्रा सिंह

नींद से आँख खुली है, अभी देखा क्या है
देख लेना, अभी कुछ देर में, दुनिया क्या है
नींद से आँख खुली...

बाँध रखा है किसी सोच ने घर से हमको
वरना अपना दर-ओ-दीवार से रिश्ता क्या है
नींद से आँख खुली...

रेत की, ईंट की, पत्थर की हो, या मिट्टी की
किसी दीवार के साये का भरोसा क्या है
नींद से आँख खुली...

अपनी दानिस्त में समझे कोई दुनिया ‘शाहिद’
वरना हाथों में लकीरों के अलावा क्या है
नींद से आँख खुली...

Sunday, September 8, 2019

September 08, 2019

झूठी सच्ची आस पे - Jhoothi Sachchi Aas Pe (Chitra Singh, Jagjit Singh, Beyond Time)

Movie/Album: बियॉन्ड टाइम (1987)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: काशिफ़ इन्दोरी
Performed By: चित्रा सिंह, जगजीत सिंह

झूठी-सच्ची आस पे जीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
मय की जगह ख़ून-ए-दिल पीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी-सच्ची आस पे जीना...

सोचा है, अब पार उतरेंगे
या टकरा कर डूब मरेंगे
तूफ़ानों की ज़द पे सफ़ीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी-सच्ची आस पे जीना...

एक महीने के वादे पर
साल गुज़ारा, फिर भी ना आए
वादे का ये एक महीना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी-सच्ची आस पे जीना...

सामने दुनिया भर के ग़म हैं
और इधर इक तन्हा हम हैं
सैकड़ों पत्थर, इक आईना
कब तक आख़िर, आख़िर कब तक
झूठी-सच्ची आस पे जीना...
September 08, 2019

बस के दुश्वार है - Bas Ke Dushwaar Hai (Chitra Singh, Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: चित्रा सिंह, जगजीत सिंह

चित्रा सिंह
बस के दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना

कि मेरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा
हाय उस ज़ूद-पशेमाँ का पशेमाँ होना

हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ‘ग़ालिब’
जिसकी क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबाँ होना
बस के दुश्वार है...

जगजीत सिंह
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना

घर हमारा जो न रोते भी तो वीराँ होता
ब-हर गर बहर न होता तो बयाबाँ होता

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

दर्द मिन्नतकश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ, बुरा न हुआ

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई
मेरे दुःख की दवा करे कोई

बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई

Saturday, September 7, 2019

September 07, 2019

सब कहाँ कुछ - Sab Kahan Kuch (Begum Akhtar, Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: ग़ैर-फ़िल्मी, मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: ख़य्याम, जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: बेगम अख़्तर, जगजीत सिंह

बेगम अख़्तर
सब कहाँ, कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी, के पिन्हाँ हो गईं

याद थीं हम को भी रंगा-रंग बज़्म-आराईयाँ
लेकिन अब नक़्श-ओ-निगार-ए-ताक़-ए-निस्याँ हो गईं

हम मुवहि्द हैं, हमारा केश है तर्क-ए-रूसूम
मिल्लतें जब मिट गईं, अजज़ा-ए-ईमाँ हो गईं

नींद उस की है, दिमाग़ उस का है, रातें उस की हैं
तेरी ज़ुल्फ़ें जिस के बाज़ू पर परेशाँ हो गईं

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ, तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी, के आसाँ हो गईं

जगजीत सिंह
सब कहाँ, कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी, के पिन्हाँ हो गईं

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ, तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी, के आसाँ हो गईं

यूँ ही गर रोता रहा "ग़ालिब", तो ऐ अहल-ए-जहां
देखना, इन बस्तियों को तुम, के वीराँ हो गईं

Tuesday, September 3, 2019

September 03, 2019

कब से हूँ क्या बताऊँ - Kab Se Hoon Kya Bataaoon (Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह

क़ासिद के आते आते
ख़त एक और लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में

कब से हूँ, क्या बताऊँ, जहान-ए-ख़राब में
शब-हा-ए-हिज्र को भी रखूँ गर हिसाब में

मुझ तक कब उनकी बज़्म में, आता था दौर-ए-जाम
साक़ी ने कुछ मिला ना दिया हो शराब में

ता फिर ना इंतज़ार में नींद आये उम्र भर
आने का अहद कर गये, आए जो ख़्वाब में

"ग़ालिब" छुटी शराब, पर अब भी कभी-कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में
कब से हूँ...
September 03, 2019

मेरा दिल भी शौक़ से - Mera Dil Bhi Shauq Se (Chitra Singh, Beyond Time)

Movie/Album: बियॉन्ड टाइम (1987)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मुराद लखनवी
Performed By: चित्रा सिंह

मेरा दिल भी शौक़ से तोड़ो
एक तजुर्बा और सही
लाख खिलौने तोड़ चुके हो
एक खिलौना और सही
मेरा दिल भी शौक़...

रात है ग़म की, आज बुझा दो
जलता हुआ हर एक चराग
दिल में अंधेरा हो ही चुका है
घर में अंधेरा और सही
मेरा दिल भी

दम है निकलता इक आशिक़ का
भीड़ है, आ कर देख तो लो
लाख तमाशे देखे होंगे
एक नज़ारा और सही
मेरा दिल भी

खंजर ले कर सोचते क्या हो
क़त्ल-ए-'मुराद' भी कर डालो
दाग हैं सौ दामन पे तुम्हारे
एक इज़ाफ़ा और सही
मेरा दिल भी...
September 03, 2019

ये करें और वो करें - Ye Karen Aur Wo Karen (Jagjit Singh, Chitra Singh, Beyond Time)

Movie/Album: बियॉन्ड टाइम (1987)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: नज़ीर बनारसी
Performed By: जगजीत सिंह, चित्रा सिंह

ये करें और वो करें
ऐसा करें वैसा करें
ज़िन्दगी दो दिन की है
दो दिन में हम क्या-क्या करें
ये करें और वो करें...

जी में आता है कि दें परदे से परदे का जवाब
हमसे वो पर्दा करें, दुनिया से हम पर्दा करें
ये करें और वो करें...

सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गए हैं शहर में
आप जल्दी बंद अपने घर का दरवाज़ा करें
ये करें और वो करें...

इस पुरानी बेवफ़ा दुनिया का रोना कब तलक
आइए, मिल-जुल के इक दुनिया नई पैदा करें
ये करें और वो करें...

Monday, August 26, 2019

August 26, 2019

ज़ुल्मत कदे में मेरे - Zulmat Kade Mein Mere (Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह

ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है
इक शम'आ है दलील-ए-सहर, सो ख़मोश है

ने मुज़्दा-ए-विसाल ना नज़्ज़ारा-ए-जमाल
मुद्दत हुई कि आश्ती-ए-चश्म-ओ-गोश है

दाग़-ए-फ़िराक़-ए-सोहबत-ए-शब की जली हुई
इक शम'आ रह गई है, सो वो भी खामोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे...

आते हैं ग़ैब से, ये मज़ामीं ख़याल में
ग़ालिब, सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे...
August 26, 2019

न था कुछ तो - Na Tha Kuch To (Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह

न था कुछ तो ख़ुदा था
कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने
न होता मैं तो क्या होता

हुआ जब ग़म से यूँ बे-हिस
तो ग़म क्या सर के कटने का
न होता गर जुदा तन से
तो ज़ानों पर धरा होता

हुई मुद्दत के "ग़ालिब" मर गया
पर याद आता है
वो हर एक बात पे कहना
के यूँ होता, तो क्या होता

Saturday, August 24, 2019

August 24, 2019

सरकती जाये है - Sarakti Jaye Hai (Jagjit Singh, Kishore Kumar, Lata Mangeshkar)

Movie/Album: द अनफर्गेटेबल्स (1977), दीदार-ए-यार (1982)
Music By: जगजीत सिंह, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: अमीर मीनाई
Performed By: जगजीत सिंह, किशोर कुमार, लता मंगेशकर

सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब
आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफ़ताब
आहिस्ता आहिस्ता
सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब

जवाँ होने लगे जब वो
तो हमसे कर लिया पर्दा
हया यकलख़्त आई और शबाब
आहिस्ता आहिस्ता
सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब

शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ
फ़रिश्तों अब तो सोने दो
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब
आहिस्ता आहिस्ता
सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब

सवाल-ए-वस्ल पर उनको
अदू का ख़ौफ़ है इतना
दबे होंठों से देते हैं जवाब
आहिस्ता आहिस्ता
सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब

**हमारे और तुम्हारे प्यार में
बस फ़र्क़ है इतना
इधर तो जल्दी-जल्दी है
उधर आहिस्ता आहिस्ता
सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब

वो बेदर्दी से सर काटे *मेरा /**अमीर
और मैं कहूँ उनसे
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता
जनाब आहिस्ता आहिस्ता
सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब...

* केवल "दीदार-ए-यार" में शामिल
** केवल "द अनफर्गेटेबल्स" में शामिल
August 24, 2019

सामने है जो उसे - Saamne Hai Jo Use (Jagjit Singh, Beyond Time)

Movie/Album: बियॉण्ड टाइम (1987)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: सुदर्शन फ़ाकिर
Performed By: जगजीत सिंह

सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिसको देखा ही नहीं उसको ख़ुदा कहते हैं
जिसको देखा ही नहीं...

ज़िन्दगी को भी सिला कहते हैं कहने वाले
जीने वाले तो गुनाहों की सज़ा कहते हैं
जिसको देखा ही नहीं...

फ़ासले उम्र के कुछ और बढ़ा देती है
जाने क्यूँ लोग उसे फिर भी दवा कहते हैं
जिसको देखा ही नहीं...

चंद मासूम से पत्तों का लहू है 'फ़ाकिर'
जिसको महबूब के हाथों की हिना कहते हैं
जिसको देखा ही नहीं...

Wednesday, August 7, 2019

August 07, 2019

लोग हर मोड़ पे - Log Har Mod Pe (Jagjit Singh, Beyond Time)

Movie/Album: बियॉण्ड टाइम (1987)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: राहत इंदौरी
Performed By: जगजीत सिंह

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं
लोग हर मोड़ पे...

मैं न जुगनू हूँ, दीया हूँ न कोई तारा हूँ
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यूँ हैं
लोग हर मोड़ पे...

नींद से मेरा त'आल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख़्वाब आ-आ के मेरी छत पे टहलते क्यूँ हैं
लोग हर मोड़ पे...

मोड़ होता है जवानी का, सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं
लोग हर मोड़ पे...
August 07, 2019

ये न थी हमारी - Ye Na Thi Hamaari (Suraiya, Chitra Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (1954), मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद, जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: सुरैया, चित्रा सिंह

सुरैया
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते, यही इन्तज़ार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत...

तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता
ये न थी हमारी...

हुए मर के हम जो रुस्वा, हुए क्यूँ न ग़र्क़-ए-दरिया
न कभी जनाज़ा उठता, न कहीं मज़ार होता
ये न थी हमारी...

कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीर-ए-नीमकश को
ये ख़लिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता

चित्रा सिंह
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते, यही इन्तज़ार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत

कहूँ किससे मैं कि क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता
ये न थी हमारी...

कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीर-ए-नीमकश को
ये ख़लिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता
ये न थी हमारी...

ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता, कोई ग़मगुसार होता
ये न थी हमारी...
August 07, 2019

दिल ही तो है - Dil Hi To Hai (Jagjit Singh, Chitra Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: , जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह, चित्रा सिंह 

दिल ही तो है, न संग-ओ-ख़िश्त
दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार
कोई हमें सताए क्यूँ
दिल ही तो है...

दैर नहीं, हरम नहीं, दर नहीं, आस्ताँ नहीं
बैठे हैं रहगुज़र पे हम, ग़ैर हमें उठाए क्यूँ
दिल ही तो है...

हाँ वो नहीं खुदा-परस्त, जाओ वो बेवफ़ा सही
जिस को हो दीन-ओ-दिल अज़ीज़, उसकी गली में जाए क्यूँ
दिल ही तो है...

क़ैद-ए-हयात-ओ-बन्द-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाए क्यूँ
दिल ही तो है...

'ग़ालिब"-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बन्द हैं
रोइए ज़ार-ज़ार क्या, कीजिए हाय-हाय क्यूँ
दिल ही तो है...

Friday, July 12, 2019

July 12, 2019

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है - Baazeecha-e-Atfaal Hai (Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है
दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़
तमाशा मेरे आगे

होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है ज़बीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग तेरा मेरे आगे
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है...

ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है...

गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है...
July 12, 2019

ज़िन्दगी यूँ हुई बसर - Zindagi Yun Hui Basar (Jagjit Singh, Marasim)

Movie/Album: मरासिम (2000)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: जगजीत सिंह

ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा
ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफ़र तन्हा
ज़िन्दगी यूँ हुई बसर...

अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा

रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा

दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा

हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा
क़ाफिला साथ और...