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Saturday, September 7, 2019

September 07, 2019

सब कहाँ कुछ - Sab Kahan Kuch (Begum Akhtar, Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: ग़ैर-फ़िल्मी, मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: ख़य्याम, जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: बेगम अख़्तर, जगजीत सिंह

बेगम अख़्तर
सब कहाँ, कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी, के पिन्हाँ हो गईं

याद थीं हम को भी रंगा-रंग बज़्म-आराईयाँ
लेकिन अब नक़्श-ओ-निगार-ए-ताक़-ए-निस्याँ हो गईं

हम मुवहि्द हैं, हमारा केश है तर्क-ए-रूसूम
मिल्लतें जब मिट गईं, अजज़ा-ए-ईमाँ हो गईं

नींद उस की है, दिमाग़ उस का है, रातें उस की हैं
तेरी ज़ुल्फ़ें जिस के बाज़ू पर परेशाँ हो गईं

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ, तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी, के आसाँ हो गईं

जगजीत सिंह
सब कहाँ, कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी, के पिन्हाँ हो गईं

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ, तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी, के आसाँ हो गईं

यूँ ही गर रोता रहा "ग़ालिब", तो ऐ अहल-ए-जहां
देखना, इन बस्तियों को तुम, के वीराँ हो गईं

Monday, August 26, 2019

August 26, 2019

वो जो हम में तुम में - Wo Jo Hum Mein Tum Mein (Begum Akhtar, Ghulam Ali, Non-Filmi)

Movie/Album: ग़ैर-फ़िल्मी
Music By: ख़य्याम, ग़ुलाम अली
Lyrics By: मोमिन ख़ाँ मोमिन
Performed By: बेग़म अख़्तर, ग़ुलाम अली, पीनाज़ मसानी

वो जो हम में तुम में क़रार था
तुम्हें याद हो के न याद हो
वो ही या'नी वादा निबाह का
तुम्हें याद हो के न याद हो

वो नये गिले वो शिक़ायतें
वो मज़े मज़े की हिक़ायतें
वो हर एक बात पे रूठना
तुम्हें याद हो के न याद हो
वो जो हम में तुम में

कभी हम में तुम में भी चाह थी
कभी हमसे तुमसे भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आशना
तुम्हें याद हो के न याद हो
वो जो हम में तुम में

वो जो लुत्फ़ मुझसे थे बेशतर
वो क़रम कि था मेरे हाल पर
मुझे सब है याद ज़रा-ज़रा
तुम्हें याद हो के न याद हो
वो जो हम में तुम में

जिसे आप गिनते थे आशना
जिसे आप कहते थे बा-वफ़ा
मैं वही हूँ 'मोमिन'-ए-मुब्तिला'
तुम्हें याद हो के न याद हो
वो जो हम में तुम में

Saturday, July 13, 2019

July 13, 2019

फिर मुझे दीदा-ए-तर- Phir Mujhe Deeda-E-Tar (Talat Mahmood, K.L.Saigal, Begum Akhtar, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: तलत महमूद, के.एल.सहगल, बेगम अख़्तर

तलत महमूद
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद आया

दम लिया था ना क़यामत ने हनूज़
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

ज़िन्दगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यूँ तेरा राहगुज़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

फिर तेरे कूचे को जाता है ख़याल
दिल-ए-गुम-गश्ता मगर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

के. एल. सेहगल
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद आया

दम लिया था न क़यामत ने हनूज़
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

कोई वीरानी-सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

मैंने मजनूँ पे लड़कपन में "असद"
संग उठाया था, के सर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

बेगम अख़्तर
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद आया

दम लिया था न क़यामत ने हनूज़
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

ज़िन्दगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यूँ तेरा राहगुज़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

कोई वीरानी-सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

हमने मजनूँ पे लड़कपन में "असद"
संग उठाया था, के सर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...