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Saturday, August 24, 2019

August 24, 2019

रहिए अब ऐसी जगह - Rahiye Ab Aisi Jagah (Suraiya, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: सुरैया

रहिए अब ऐसी जगह
चल कर, जहाँ कोई न हो
हम-सुख़न कोई न हो
और हम-ज़बाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह

बे-दर-ओ-दीवार का इक
घर बनाना चाहिये
कोई हम-साया न हो
और पासबाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह

पड़िए ग़र बीमार तो
कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो
नौहा-ख़्वाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह...

Wednesday, August 7, 2019

August 07, 2019

ये न थी हमारी - Ye Na Thi Hamaari (Suraiya, Chitra Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (1954), मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद, जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: सुरैया, चित्रा सिंह

सुरैया
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते, यही इन्तज़ार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत...

तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता
ये न थी हमारी...

हुए मर के हम जो रुस्वा, हुए क्यूँ न ग़र्क़-ए-दरिया
न कभी जनाज़ा उठता, न कहीं मज़ार होता
ये न थी हमारी...

कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीर-ए-नीमकश को
ये ख़लिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता

चित्रा सिंह
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते, यही इन्तज़ार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत

कहूँ किससे मैं कि क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता
ये न थी हमारी...

कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीर-ए-नीमकश को
ये ख़लिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता
ये न थी हमारी...

ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता, कोई ग़मगुसार होता
ये न थी हमारी...

Saturday, July 13, 2019

July 13, 2019

फिर मुझे दीदा-ए-तर- Phir Mujhe Deeda-E-Tar (Talat Mahmood, K.L.Saigal, Begum Akhtar, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: तलत महमूद, के.एल.सहगल, बेगम अख़्तर

तलत महमूद
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद आया

दम लिया था ना क़यामत ने हनूज़
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

ज़िन्दगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यूँ तेरा राहगुज़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

फिर तेरे कूचे को जाता है ख़याल
दिल-ए-गुम-गश्ता मगर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

के. एल. सेहगल
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद आया

दम लिया था न क़यामत ने हनूज़
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

कोई वीरानी-सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

मैंने मजनूँ पे लड़कपन में "असद"
संग उठाया था, के सर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

बेगम अख़्तर
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तिश्ना-ए-फ़रियाद आया

दम लिया था न क़यामत ने हनूज़
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

ज़िन्दगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यूँ तेरा राहगुज़र याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

कोई वीरानी-सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...

हमने मजनूँ पे लड़कपन में "असद"
संग उठाया था, के सर याद आया
फिर मुझे दीदा-ए-तर...